फर्क ( तेरे-मेरे याद में)
समेट लेती हूँ ख्वाब का दरिया
इन् आँखों में ,
जैसे तेरे याद का दरिया
मेरे हर बातों में ,
ख़ुशी तो पलको से भी झलकती है
गम होटों से भी बयां होता है
बस फर्क इतना है की ,
मैं तुझे बस ' इक याद ' सी लगती हूँ
तू मेरी हर याद में रहता है
प्रज्ञा ठाकुर @PT
इन् आँखों में ,
जैसे तेरे याद का दरिया
मेरे हर बातों में ,
ख़ुशी तो पलको से भी झलकती है
गम होटों से भी बयां होता है
बस फर्क इतना है की ,
मैं तुझे बस ' इक याद ' सी लगती हूँ
तू मेरी हर याद में रहता है
प्रज्ञा ठाकुर @PT
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