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Showing posts from April 1, 2018

आग और पानी ©

दो आत्माये मिलती है एक दहकती आग सी एक पानी सा दोनों जलते बुझते से कभी आग बुझती सी कभी पानी जलता जरा सी हवा आती दोनों के दरमियाँ दोनों घुलते मिलते से, अलग अलग से लेकिन एक दूजे के प्रेम में, बस इतनी सी कहानी अधूरी सी  हीं सही कभी आग पानी मिले है भला ? पर  प्यार  तो  हुआ  ! ©प्रज्ञा  ठाकुर

Love between fire & water ©

© Two souls meet, One’s like a burning flame, One’s like Water, Both burn and extinguish Sometimes fire extinguishes Sometimes water burns A small gush of air flows between both, Both mingle, But are different  And still in love, Just a small love story,  Incomplete though it is! Can Fire and Water ever be one? But still LOVE can happen in such a way.© @pragyathakur

इश्क़ हुआ है !©

इश्क़ क्या है ? ये यहाँ किसी को नहीं मालूम फिर भी अक्सर लोग कहतें इश्क़ हुआ है ! जब जिस्म ख़त्म हो,और रूहें  निकल कर  आज़ाद हो कर सोच की गन्दी गुफा से , निकल जाती हो बहुत दूर-तलक जब अँधेरे में भी 'रौशन' सी लगती हो , परदों की नहीं पड़ती हो , जब इसको  जरुरत ! चीथड़ों में नहीं होती हो लिपटी साख़ इसकी और बेअसर होती हो हर लालच ही इसपर ! जब कभी समझ आने लगे की मैं ही तुम हो, या की ये समझ आना की शायद तुम ही मैं हूँ ! जब लगे की आसमां छत हीं हो जैसे , या लगे की धरती भी घर हीं हो जैसे जब समझ जाने लगो तुम उसको वैसे स्वयं के बारे में तुम समझे हो जैसे जब वो ना मिले तो भी उसी से प्यार हो या फिर मिल के भी मिलना नहीं स्वीकार हो जब कुछ अधूरापन भी ,सुकून देता हो तुमको या की आंशु भी बहते हो, कुछ हसीं समेटे ! जब औरत केवल जिस्म या यौवन नहीं हो या पुरुष बस बल या की साहस नहीं हो जब रोती हुई कोई स्त्री करुणा से पुकारे जब कोई बच्चा कौतूहल से इस दुनिया को निहारें  जब कोई पुरुष तुम्हारे चोट पर आंशु बहा दें या की कोई नारी आके बस ढांढस बंधा दें कोई कोयल बाग़ में गाती हो तब-तब देखती हो नाच