ए ज़िंदगी तेरा शुक्रिया !©
ज़िंदगी बिखर गयी थी लेकिन सांस बाकि थी जो गया ले गया सब कुछ फिर भी आस बाकि थी अकेली एक कमरे में बंद करके सारे दरवाजे सोने की कोशिश बहुत की थी लेकिन नींद नहीं थे आँखों में कुछ सवालात बाकि थी शायद किसी ने मुझको व्यहवारिक बना दिया बहुत जो भावुक थी उसने जीना सीखा दिया इतना टूटी की टूटने का शोर ना हुआ रात आयी थी ऐसे की फिर भोर ना हुआ ए ज़िंदगी तेरा शुक्रिया तूने क्या- क्या दिखा दिया क्या मजा था केवल ख़ुशी में , तूने हर रंग जिला दिया ! ©प्रज्ञा