एक मात्र ध्यय जीवन का ©
जो है साथ उसे कसकर रखों जब तक हल्की आँच बाकी हो , और रिश्ते में गरमाहट हो , लेकिन तुम्हें कमजोऱ करने वाले रिश्तों कि बलि दे दो और वापस उस एहसास के लिए कोई जगह ना रखना , ना कोई शख्स़ और ना कोई वहम लौटने पाए । उतनी दूर जाने दो जहां से , लौटने के रास्ते ख़त्म हों जाए , ठीक वैसे ही जैसे कॉच का टूट कर कभी ना जुड़ना! मैनें अक्सर खूबसूरत मौसमों को यूँ ही पतझर बनते देखा है। और पंछीओ को इसकी आदत सी है ,उनकी आजा़दी पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। और आजा़द रहना ही तो एक मात्र ध्यय है जीवन का ! ©प्रज्ञा ठाकुर