अधूरे हम अधूरे तुम
अधूरी सी है अपनी बातें
अधूरे पन के किस्सों में ,
अधूरी सी अपनी मुलाकातें
अधूरा आसमां लगता
अधूरी सी जमीं लगती
अधूरा सा जहाँ लगता
कहीं तेरी कमी लगती
इन्ही अधूरे पन को जीती जा रही कबसे
अधूरे तुम नहीं ,अधूरी मैं नहीं
अधूरा कोई भी नहीं
अधूरे से इन् हालातों में ,
ज़रा सा ध्यान से सोचूँ
अधूरी -अधूरी सी ही मिल कर के
ये ' पूरी' ज़िंदगी लगती !!!
अधूरी सी है अपनी बातें
अधूरे पन के किस्सों में ,
अधूरी सी अपनी मुलाकातें
अधूरा आसमां लगता
अधूरी सी जमीं लगती
अधूरा सा जहाँ लगता
कहीं तेरी कमी लगती
इन्ही अधूरे पन को जीती जा रही कबसे
अधूरे तुम नहीं ,अधूरी मैं नहीं
अधूरा कोई भी नहीं
अधूरे से इन् हालातों में ,
ज़रा सा ध्यान से सोचूँ
अधूरी -अधूरी सी ही मिल कर के
ये ' पूरी' ज़िंदगी लगती !!!
©प्रज्ञा ठाकुर
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