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Showing posts from October 21, 2018

अबला कह कर गाली ना दो !©

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सही कहा मैं हीं ज़हर हूँ घोल-घोल कर सबको पिलाते हो, मुझीं को सही कहा मैं हीं ज़हर हूँ और बोलो ज़हर होने की क्या कोई सज़ा है ? सजाये मौत तो अक्सर कातिल को मिला है और वो हो तुम जो है विष घोलता तो कैसे मिलेगी मुझको ज़हर होने की सज़ा? अक्सर कहते हो मैं नागिन हूँ सही कहा मैं हीं नागिन हूँ पर यूँ हीं किसी को डसने को, मैं नहीं हूँ बैठी तुम हीं तो मुझकों, सदैव उकसाते हो लठ मारते, बेवजह आग लगाते हो तो भला बताओ सज़ा मेरी अब होगी क्या ? तुमको हीं वक़्त पर देंगे सही सज़ा मैं डायन हूँ सही कहा कई सालों से तुमने ये जो नाम दिया मेरे घर को उजाड़, बेवजह मुझे वीरान किया और खो गयी जो मेरी सारी संवेदना तो ये कहो की क्या सज़ा होगी मुझे? देखना इसकी भी सज़ा मिलेगी एक दिन  तुमको क्या कहा की मैं वैस्या हूँ ? तुमने बिलकुल ठीक कहा मैं हीं हूँ मैं हीं जिसको छुआ तुमने और गन्दी हो गयी मेरे छूने से तुम अब तक पाक रहे तो कहो कौन इस सज़ा का अब हक़दार हुआ नाचती हूँ रोज़-रोज़ जिस आँगन में, उस मिट्टी से बनती दुर्गा की प्रतिमा अब ये कहो की कौन नर्क का द्वार हुआ कहो किसे दे सज़ा, हमें तो सब स्वीकार हुआ क्या ? क