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Showing posts from November 19, 2017

हालात- ए - इश्क़ ©

हालात- ए - इश्क़ एक कसक है जो ठंडी नहीं होती कुछ उमस है जो भीनी- भीनी सुलगती बज़्म में लोग भी शामिल है ऐसे , किनारे मिलते नहीं नदी के ,जिन्हें आदत है कहने की , झोंका है हवा का वक़्त- ए -काफ़िर दगाबाज़ दरियाँ जो डूबकर उभरने नहीं देती अमावस जैसी रात बीच -बीच में , हर पहर आती है इश्क़ उस बेवा से हालात है जो ख़ुद मर कर भी सवरने नहीं देती शायरी कविता गीत ग़ज़ल , सब मेरे किस्से ही तो हैं लोगों से दाद जो मिलती है मुझे , मेरी आह उसे मुझ तक पहुँचने नहीं देती!! ©प्रज्ञा ठाकुर