हर रोज़ की तरह आज भी साम्नाये दिन था , बस एक फर्क था मेरा आज एग्जाम था कॉलेज में , रोज़ की तरह अपने पड़ोसी मेहता अंकल का लड़का मुझे बाइक से ड्राप कर देता था , कॉलेज में वो मेरा सीनियर था , हाँ २ साल से साथ जा रहे है ,सो थोड़ी सी दोस्ती आगे बढ़ी है , कभी-कभी इशारो में एक दूसरे से गुफ्तगू हो जाती है , या कभी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है , रास्ते में बाइक पर तो कॉलेज सम्बन्धी दुनिया भर की बातें होती है , ,खूब ठहाके लगते है कभी- कभी किसी उटपटांग सी दूसरों की बातों पर . चुप -चाप कॉलेज परिसर में दाखिल होते ही, दो अजनबियों की तरह अपने- अपने क्लास में चले जाते है ,ताकि लोग तरह-तरह की बातें न फैलाये , और हमारी जिंदगी में ताका झांकी न करें, बस इतना ही गहरा और समझदार रिश्ता है हम दोनों का , कभी- कभी लौटते वक़्त रास्ते में रुक के मंदिर चले जाते है या आइस-क्रीम खा लेते है , आइस-क्रीम वाला काका , हमे अफसर बिटिया ,और इनको दीवाने अफसर बाबू कहते है , क्यों ? क्यूंकि हम जो भी बातें करते है वह खड़े होकर चुप -चाप सुनता है , इसने कुछ दिन पहले की हमारी बातें सुन ली थी - अलोक(दीवाने बाबू )- मै...