दीवाने बाबू की दीवानी नीलू !©

हर रोज़ की तरह आज भी साम्नाये दिन था , बस एक फर्क था मेरा आज एग्जाम था कॉलेज में , रोज़ की तरह अपने पड़ोसी मेहता अंकल का लड़का मुझे बाइक से ड्राप कर देता था , कॉलेज में वो मेरा सीनियर था , हाँ २ साल से साथ जा रहे है ,सो थोड़ी सी दोस्ती आगे बढ़ी है , कभी-कभी इशारो में एक दूसरे से गुफ्तगू हो जाती है , या कभी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है , रास्ते में बाइक पर तो कॉलेज सम्बन्धी दुनिया भर की बातें होती है , ,खूब ठहाके लगते है कभी- कभी किसी उटपटांग सी दूसरों की बातों पर .
चुप -चाप कॉलेज परिसर में दाखिल होते ही, दो अजनबियों की तरह अपने- अपने क्लास में चले जाते है ,ताकि लोग तरह-तरह की बातें न फैलाये , और हमारी जिंदगी में ताका झांकी न करें, बस इतना ही गहरा और समझदार रिश्ता है हम दोनों का , कभी- कभी लौटते वक़्त रास्ते में रुक के मंदिर चले जाते है या आइस-क्रीम खा लेते है , आइस-क्रीम वाला काका , हमे अफसर बिटिया ,और इनको दीवाने अफसर बाबू कहते है ,
क्यों ? क्यूंकि हम जो भी बातें करते है वह खड़े होकर चुप -चाप सुनता है , इसने कुछ दिन पहले की हमारी बातें सुन ली थी - अलोक(दीवाने बाबू )- मैं सोच रहा हूँ IAS के लिए prepare करू फाइनल ईयर है , तुम भी कहीं अच्छा सा कोचिंग देख लो , अभी से तैयारी करोगी तो आसानी से हो जायेगा पहले ही एटेम्पट में ,
नीलू- हाँ मैं भी यही सोच रही थी , मेरे पापा का सपना है ! फिर शायद पापा हमारी शादी के लिए भी मान जाये ,जब बेटी दामाद दोनों लाल बत्ती की गाड़ी से उतरेंगे ...
अलोक -हाँ तब तो हमारे मोहल्ले वालो की भी जुबान बंद होगी ,
आइस-क्रीम वाला बोल पड़ा , मुस्कुराते हुए - बिटीया भगवान आप दोनों को सफलताएं दें, तब आप दोनों इस गरीब काका को मत भूल जाना !
अलोक - अरे काका यार !आप कैसी बात कर रहे , तब तो हम आपके दुकान पर खड़े होकर आइस-क्रीम जरूर खाएंगे ! बस इतनी सी बात हुई थी और तबसे मैं अफसर बिटीया हूँ , और अलोक दीवाने अफसर बाबू ,मेरे कारन !!
अलोक -सुनो आज पेपर जल्दी ख़त्म होगा तो २ बजे मूवी देखने चलोगी ? ना नहीं सुनेंगे देख लो फिर हम बहुत बिजी होने वाले , फिर ना ले जा पाएंगे !
नीलू - अच्छा बाबा ठीक है , कौन सी लगी है ?
अलोक- the dark knight rises ...
मूवी देखि और बाहर निकल कर आइस-क्रीम वाले के पास गए !
अलोक- काका दो आइस-क्रीम , मैडम के लिए बटरस्कॉच और मेरे लिए तो काका अपनी मटका कुल्फी !
नीलू- ओह नो ! चलो यहाँ से मेरे पड़ोस वाले श्याम अंकल ने देख लिया , हमे निकलना चाहिए
अलोक-अरे हद बात करती हो.देख लिया तो कौन सा कोई गलत काम कर रहे आइस-क्रीम ही तो खा रहे ! इन् पड़ोसियों की भी , हमसे मिलवा देना कोई बात हो तो , और टेंशन मत लो इतना ,इनके लड़के को देखे थे , गांजा फूकते हुई अपने DC के आगे !
नीलू- प्लीज घर चलो , ना जाने क्या बोल दे वो घर पे
घर आयी घबराई सी मैं , पापा ने बस इतना कहा आज से तुम्हारा कॉलेज जाना बंद , लड़का देख रहे तुम्हारी शादी करनी है ,
बस फिर क्या था ? मेरे सपने टूटने ही वाले थे , दीवाने बाबू और मेरी दोस्ती ,रिश्तेदारी में बदलने के ही नहीं बल्कि IAS बनकर पापा के सामने आने के भी सपने , कई सारे सपने
३ साल बाद ,
हम दोनों आज फिर से साथ बैठे है एक साथ , आइस-क्रीम वाले भैया के पास , एक दूसरे के हाथो में हाथ लिए , बस एक ही फर्क है . आइस-क्रीम खाने को नहीं मिलेंगे , तुम कुछ कहते नहीं आजकल ,चुप ही रहते हो , खाते भी नहीं , किसी से बात नहीं करते बस यहाँ आकर घंटो बैठे रहते हो मेरी यादों में , उन्ही लम्हो में कैद होकर आखिरी लम्हा मेरे साथ बिताया हुआ , जिंदगी तुम्हारी डार्क neight सी हो गयी है !
मुझे मालूम था की फिर ये लम्हा नसीब ना होगा !
अंकल ने माँ को कहा था , आपकी बेटी बदचलन है पड़ोसी के साथ सिनेमा हॉल के बाहर रोमांस फरमा रही, मुझे बहुत अफ़सोस है भाईसाब, आपने कैसे संस्कार दिए , माँ -पापा के खून में उबाल था , मुझे सजा मिली उम्र कैद (शादी की) और मैंने सबसे दूर अपनी बेहतरी के लिए जाना समझा , बस ज़रा सा जहर था जिसने मुझे तुमसे दूर करके पास कर दिया , जानती हूँ तुम तब से खामोश हो दुनिया के लिए ,लेकिन मुझसे तो रोज़ बातें होती है तुम्हारी ....
फिर मिलेंगे नयी दुनिया में , इंतज़ार करना ,' मोहब्बत कभी अधूरी नहीं होती' बस नज़र का फ़र्क है
तुम्हारी दीवानी नीलू

©प्रज्ञा ठाकुर

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