Thursday, 7 September 2017

आज़ाद हूँ! ©

आज़ाद हो तुम ,मैं भी आज़ाद हूँ
ये सुना राजपथ आज़ाद ही तो है
अमर जवान पे सालो से जल रही
ये तम की लौ आज़ाद ही तो है
रोज़ रोज़ मरते "शहीद " आज़ाद ही तो है
रोज़ रोज़ के कत्ले -आम आज़ादी ही तो है
आज़ाद है ये महल(राष्ट्पति भवन ) आज़ाद हिन्द का
आज़ादी ही तो मिली है अंग्रेज़ों से इन्हे .
तिरंगा आज़ाद है ,नेता आज़ाद है ,जनता आज़ाद है
आज़ादी की पराकाष्ठा है सदियों से ,
चंद ब्यापारियों को ,नेताओ को छोड़ दें तो ,
दो मुट्ठी फसल पे जीते किसान आज़ाद है
बेरोज़गारी की मार सहते युवा आज़ाद है
बीमारियों की चपेट में मरते जन आज़ाद है
सीमा पर सीने पर गोली खाते जवान आज़ाद है
कड़ोड़ो का घपला करते नेता जी आज़ाद है
इज़्ज़त गवा कर सड़क किनारे पड़ी अबला आज़ाद है
राम-कृष्ण के देश में ,बस बाबा आज़ाद है
बहुत पैसा है देश में , बहुत सुरक्षित है , रोज़गार है
और बोल बच्चन वाली हर एक सत्ता आज़ाद है :-)


©प्रज्ञा ठाकुर

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