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पुरानी प्रेमिका

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कुछ भी नहीं जिया मैंने अभी कितना कुछ तो बाकी है गांव में जा कर किसी प्रेमी संग पुराने स्कूटर पर बैठना था जो बार बार बंद हो जाती हो और रोक कर उसे टेढ़ा करके फिर स्टार्ट करते हो मुझे उसके साथ किसी गांव का मेला देखना था  लेने थे मुझे उसकी पसंद की बालियां और मेरे पसंद के खट्टे बेर उसे खिलाने थे दो चोटी वाली छोटी लड़की स्कूल भेजनी थी लाल रिबन के साथ  और लड़के की शिकायत सुननी थी मुझे पड़ोस वाली भाभी से गांव से दूर देश तक ले कर जाना था उन्हें साथ दिखाना था दोनो हीं जगहों का जीवन और बारहों मास मुझे छुप छुप कर देखना था सिनेमा सारे घरवालों से और पीनी थी रोड वाली कुल्हड़ की चाय मुझे बहुत सारी यात्राओं पर कोई साथ भी चाहिए था  क्योंकि वो यात्राएं मैंने अकेले नहीं की किसी की इंतजार में मुझे मुफ्त में बच्चों को पढ़ाना था उनके लिए घर से खाना ले जाना था किसी को अकेला नहीं देखना था ना छोड़ना था मैं खुद को अकेला पा कर देखती हूं कितना कुछ करना था जो इस जीवन में छूट गया ढलती उमर सपने छोटे करती गई  मैं गांव और शहर से दूर बस एक कमरे की होती गई. प्रज्ञा