Wednesday, 12 April 2023

पुरानी प्रेमिका

कुछ भी नहीं जिया मैंने अभी कितना कुछ तो बाकी है
गांव में जा कर किसी प्रेमी संग पुराने स्कूटर पर बैठना था
जो बार बार बंद हो जाती हो और रोक कर उसे टेढ़ा करके फिर स्टार्ट करते हो
मुझे उसके साथ किसी गांव का मेला देखना था 
लेने थे मुझे उसकी पसंद की बालियां और मेरे पसंद के खट्टे बेर उसे खिलाने थे
दो चोटी वाली छोटी लड़की स्कूल भेजनी थी लाल रिबन के साथ 
और लड़के की शिकायत सुननी थी मुझे पड़ोस वाली भाभी से
गांव से दूर देश तक ले कर जाना था उन्हें साथ
दिखाना था दोनो हीं जगहों का जीवन और बारहों मास
मुझे छुप छुप कर देखना था सिनेमा सारे घरवालों से
और पीनी थी रोड वाली कुल्हड़ की चाय
मुझे बहुत सारी यात्राओं पर कोई साथ भी चाहिए था 
क्योंकि वो यात्राएं मैंने अकेले नहीं की किसी की इंतजार में
मुझे मुफ्त में बच्चों को पढ़ाना था उनके लिए घर से खाना ले जाना था
किसी को अकेला नहीं देखना था ना छोड़ना था
मैं खुद को अकेला पा कर देखती हूं
कितना कुछ करना था जो इस जीवन में छूट गया
ढलती उमर सपने छोटे करती गई 
मैं गांव और शहर से दूर बस एक कमरे की होती गई.

प्रज्ञा

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