A word creates a line in my mind, then by getting entangled in that line, I go out to find poetry.
Friday, 6 October 2017
लहरों से मोहब्बत!©
मैं समुन्दर का एक किनारा हूँ
और मुझे दूसरे किनारे से मोहब्बत है
जानती हूँ, हम दो किनारे है
कभी मिले नहीं , न कभी मिल भी पाएंगे
पर मुझे तुझसे जुदा होने का गम है
ये कैसा साथ है? लोग सोचते होंगे
मैं दीवानी हूँ जानती हूँ, लोग पागल भी समझते होंगे !
लेकिन मुझे उस रोज़ तुमसे मोहब्बत हुई ,
'ए किनारे' जिस दिन
तुम्हे छू कर आयी एक लहर ने मुझे छुआ
मैं हैरान सी थी कुछ ऐसा उस रोज़ महसूस हुआ
कुछ अपना सा, प्यारा सा ,अजब सा, गजब सा ,
फिर मेरे अंदर के जस्बातों का
एक लहर तुझतक पंहुचा
और तुझे भी झंकझोर गया 'भीतर तक'
ऐसे ही लहरों से हमारा प्रेम आगे बढ़ा
हर कहानी तेरी-मेरी हर आपबीती हम दोनो को पता है !
और हमारी चिठियाँ ले जाती ये लहरें ,
इनसे भी तो कुछ न छिपा है !
मुझे तेरे पास नहीं आना ,
मुझे तुझसे दूर नहीं जाना ,
बस मुझे इतनी सी मोहब्बत है तो इसी से ,
जो ये ख़ूबसूरत सा सिलसिला है
मैं ये चाहूंगी की ये खत्म न होने पाए
ये कुछ जो मीठा दर्द है खोने न पाए
और कभी ये लहरें हमारा पैगाम
लाना-लेजाना अगर जो भूले
अये किनारे तुझे कसम है की तू और मैं
इसी समंदर में ऐसे घुले की इसी का हिस्सा रह जाये
हमारी दास्ताँ ऐसे दफ़न हो की,
मोहब्बत का कोई हसीं किस्सा बन जाये !
और मुझे दूसरे किनारे से मोहब्बत है
जानती हूँ, हम दो किनारे है
कभी मिले नहीं , न कभी मिल भी पाएंगे
पर मुझे तुझसे जुदा होने का गम है
ये कैसा साथ है? लोग सोचते होंगे
मैं दीवानी हूँ जानती हूँ, लोग पागल भी समझते होंगे !
लेकिन मुझे उस रोज़ तुमसे मोहब्बत हुई ,
'ए किनारे' जिस दिन
तुम्हे छू कर आयी एक लहर ने मुझे छुआ
मैं हैरान सी थी कुछ ऐसा उस रोज़ महसूस हुआ
कुछ अपना सा, प्यारा सा ,अजब सा, गजब सा ,
फिर मेरे अंदर के जस्बातों का
एक लहर तुझतक पंहुचा
और तुझे भी झंकझोर गया 'भीतर तक'
ऐसे ही लहरों से हमारा प्रेम आगे बढ़ा
हर कहानी तेरी-मेरी हर आपबीती हम दोनो को पता है !
और हमारी चिठियाँ ले जाती ये लहरें ,
इनसे भी तो कुछ न छिपा है !
मुझे तेरे पास नहीं आना ,
मुझे तुझसे दूर नहीं जाना ,
बस मुझे इतनी सी मोहब्बत है तो इसी से ,
जो ये ख़ूबसूरत सा सिलसिला है
मैं ये चाहूंगी की ये खत्म न होने पाए
ये कुछ जो मीठा दर्द है खोने न पाए
और कभी ये लहरें हमारा पैगाम
लाना-लेजाना अगर जो भूले
अये किनारे तुझे कसम है की तू और मैं
इसी समंदर में ऐसे घुले की इसी का हिस्सा रह जाये
हमारी दास्ताँ ऐसे दफ़न हो की,
मोहब्बत का कोई हसीं किस्सा बन जाये !
©प्रज्ञा ठाकुर
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