Sunday, 13 November 2022

Aye zindagi !

Aye zindgi !
Mil kabhi achanak se yun hi
Ki mujhe teri kami si lag rhi
Kal ki aayi khushi ko keh de thehar jane ko
Aaj ki barish se keh de haule barse jara
Koyal ki kuk ki kami si lag rahi aaj 
Garjte badalo ne unhe rok liya hai
Zara waqt mile to aana chutti lekar
Bahut si baate karni hai tumse milkar
Sunhre se mausam halki barish ,halka dhoop khila ho
Hawaye jo tez hai wo haule haule chal rahi ho
Meri pyari koyal jab kukne lagi ho
Aur aasman saaf neela ho ,bina kisi kale badal ke 
Tab milna aur chai ki pyali lekar 
Yahi balcony me baithkar guftagu karenge
Mujhe intzaar rahega tera aana jarur
Bahut kuchh hai kehne ko
Par adhure pan ki adat hai mere kahaniyo ko bhi
Jaisi adhuri si hai zindgi meri !©



रामेश्वरम

रामेश्वरम की वो शीतल गलियां 
मुझे मालूम नहीं की कब से, 
मुझे उन् गलियों से प्यार हुआ 
वहां की शांत सड़के,
थोड़ी दूर का वो भव्य सुनहरा मंदिर,
वही पास में वो शांत समुन्दर ,
वहीं कहीं थोड़ी दूर 
एक महान मातृ भक्त की,
पवित्र स्मृति स्थल 
जहाँ अमर 'कलाम', 
सुंदर नींद में सोये है,
कितना सुकून है वहां 
वहीं 'दिनकर' जी ने,
अपने जीवन का आखिरी 
हिसाब किताब किया था 
स्वयं नारायण से,
वहां बहुत पवित्रता है 
मुझे उसी जगह से अगाध प्रेम है 
जाने कौन सा रिश्ता है की
जीवन कहीं भी बिते 
आखिरी छन आखिरी श्वांस
रामेश्वरम की गोद में हीं हो !
कभी-कभी प्रेम ऐसा भी होता है 
जो किसी जगह की,
मिट्टी और हवा से हो
शायद इसी कारन बड़े-बुजुर्ग
आखिरी लम्हा अपने मिट्टी में हीं
गुजारना चाहते है !   

प्रज्ञा

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Mahadev ke 'premi'

सो हमने सोचा नागपुर से दिल लगाया जाये ! <3

बेहद ख़ूबसूरत रास्तें  थें !
वह जो कभी ख़त्म ना हो और मंजिल को ना हीं ले जाये तो बेहतर, बारिश के मौसम में तो क्या गजब की हरियाली होती है, वही मिले तुम सीधे सादे से महादेव के भक्त !
समस्या ये रही की हम ठेठ हिंदी और तुम उतने ही ठेठ मराठी , और अंग्रेजी तो गजब की तंग की ना बोले तो ही ठीक है. पर जो एक बात दोनों में कॉमन थी हमारी इस्माइली -जी हाँ दोनों मुस्कुराये गजब थे, एकदूसरे पे नज़र पड़ते हीं.
वो क्या है ना तुम छुप-छुप कर देखते रहे बस स्टैंड पे खड़े मेरी बस की तरफ और जब बस की खिड़की से हमने देखा तुम शरमा गए !
वो अंदाज़ भी क्या खूब होता है जनाब जब कोई लड़का शरमा जाये, लड़की के शर्माने की अदा से बड़ी क़यामत है, हमने तो मन पढ़ लिया लड़का गजब का शरीफ था !
बस फिर बस रुकी हम उतरे तुम धीरे से पास आये चल कर और कहा "कुठे जायच आहे ?
और मैं दोबारा मुस्कुरा दी 'ये नहीं कहना चाहती थी की मुझे मराठी नहीं आती क्यूंकि नहीं आती तो क्या हुआ  मुझे तुम समझ आते हो.
तुमने फिर पूछा टूटी हिंदी जबान 'मराठी ...हिंदी ' ?
मैंने हिंदी कहा ! बस चल दी ...दोनों मुस्कुराये 'बस बात इतनी ही हुए थी, हाँ वो महादेव के भक्त क्यूंकि तुम्हारे माथे पर वो तिलक देखा जो नासिक के त्रयंबकेश्वर में सबके सिर पे लगा देखा था मैंने .. मैं एक यात्रा पे थी ना ....

प्रज्ञा

मुकम्मल ईश्क

मुक़्क़मल इश्क़ !<3

चलो एक पूरी सी कहानी लिखते है दो अधूरे किरदार मिल कर ! 
तुम्हें बस आना है मेरी ज़िंदगी में बस एक गुलाब लेकर और ज़माने से छुपते-छुपाते ,किसी किताब में रखकर एक अधूरी चिठ्ठी के साथ जिस पर, कुछ बेमतलब की शायरी लिखीं हो जिसका मेरे वज़ूद से कोई लेना देना ना हो,लेकिन फिर भी मैं पढ़ कर मुस्कुरा दूँ और शरमा कर सोचूँ की तुमने मेरे लिए हीं लिखीं है ! हाँ वो और बात है की मुझे पता होगा की तुम शायरी नहीं लिखते!
फिर उस गुलाब को चुम कर मैं अपनी किसी ख़ास डायरी में छुपा लुंगी जहाँ घर वालों की सालो-साल नज़र ना पड़े. 
फिर मन ही मन मैं तुम्हें बहुत चाहने लगु और दीवानगी का आलम इस कदर हो की हर मंगल वार मंदिर जाऊ और बाल-ब्रह्मचारि हनुमान जी से तुम्हें मांगू उन्हें बूंदी के लडडू चढ़ा कर ,और सारे सोमवारी करुँ की तुम ही मेरे जीवन साथी बनो पर तुमसे कुछ ना बोलूं.
तुम रोज़-रोज़ यूँ हीं मेरी गली के चक्कर लगाना और कभी-कभी चोरी से मुझे खिड़की से झांकते पकड़ लेना .ऐसे ही मुझे मेरी दुआं कबूल सी लगने लगे और तुम्हें भी तुम्हारे बिना पूछें हुए सवाल का जवाब हाँ में मिल जाये !
बस रूहानी इश्क़ हो ,दोनों में हो गज़ब का ,इशारों के रिश्ते हों , मुस्कुराहटों से ज़ाहिर हों .
ऐसा अधूरा सा प्रेम हों की एक दिन हम किसी अजनबी शहर चले जाये और तुम भी गली के चक्कर लगा कर थक जाओ तो कोई पड़ोस वाली नफीसा तुम्हें कह दें की वो मकान खाली कर के शहर छोड़ कर चली गयी उसे तुम्हारे दीवानेपन पे तरस आ जाये .बहुत होगा तो तुम उसे कह देना की मैं लौटूं तो तुम्हें बता दें और अपना नंबर छोड़ आना उसके पास कभी ना आने वाले कॉल के लिए और कहीं खो जाना दुनिया की भीड़ में ,और बेगाने शहर में हम भी कुछ दिन तुम्हारी याद में तड़पे और फिर नयी दुनियाँ बना लें अपनी .
इश्क़ भी मुकम्मल होगा , हाँ किरदार अधूरे होंगे पर कहानी पूरी होगी!

प्रज्ञा ठाकुर

LIFE- has deeper meanings

Life is not 'breathing 'Life has deeper meaningTo feel pain & pleasure & Do not react to both is a way to life.Observing the crawling ant with fascination & feel that smoothness of walk in your own imagination .How ease to live life, How deep life is .How invisible yet visible .  ©Pragyathakur

दीवाने बाबू की नीलू

दीवाने बाबू की दीवानी नीलू 
हर रोज़ की तरह आज भी सामान्य दिन था , बस एक फर्क था मेरा आज एग्जाम था कॉलेज में , रोज़ की तरह अपने पड़ोसी मेहता अंकल का लड़का मुझे बाइक से ड्राप कर देता था , कॉलेज में वो मेरा सीनियर था , हाँ २ साल से साथ जा रहे है ,सो थोड़ी सी दोस्ती आगे बढ़ी है , कभी-कभी इशारो में एक दूसरे से गुफ्तगू हो जाती है , या कभी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है , रास्ते में बाइक पर तो कॉलेज सम्बन्धी दुनिया भर की बातें होती है , ,खूब ठहाके लगते है कभी- कभी किसी उटपटांग सी दूसरों की बातों पर .
चुप -चाप कॉलेज परिसर में दाखिल होते ही, दो अजनबियों की तरह अपने- अपने क्लास में चले जाते है ,ताकि लोग तरह-तरह की बातें न फैलाये , और हमारी जिंदगी में ताका झांकी न करें, बस इतना ही गहरा और समझदार रिश्ता है हम दोनों का , कभी- कभी लौटते वक़्त रास्ते में रुक के मंदिर चले जाते है या आइस-क्रीम खा लेते है , आइस-क्रीम वाला काका , हमे अफसर बिटिया ,और इनको दीवाने अफसर बाबू कहते है ,
क्यों ? क्यूंकि हम जो भी बातें करते है वह खड़े होकर चुप -चाप सुनता है , इसने कुछ दिन पहले की हमारी बातें सुन ली थी - अलोक(दीवाने बाबू )- मैं सोच रहा हूँ IAS के लिए prepare करू फाइनल ईयर है , तुम भी कहीं अच्छा सा कोचिंग देख लो , अभी से तैयारी करोगी तो आसानी से हो जायेगा पहले ही एटेम्पट में , 
नीलू- हाँ मैं भी यही सोच रही थी , मेरे पापा का सपना है ! फिर शायद पापा हमारी शादी के लिए भी मान जाये ,जब बेटी दामाद दोनों लाल बत्ती की गाड़ी से उतरेंगे ...
अलोक -हाँ तब तो हमारे मोहल्ले वालो की भी जुबान बंद होगी ,
आइस-क्रीम वाला बोल पड़ा , मुस्कुराते हुए - बिटीया भगवान आप दोनों को सफलताएं दें, तब आप दोनों इस गरीब काका को मत भूल जाना !
अलोक - अरे काका यार !आप कैसी बात कर रहे , तब तो हम आपके दुकान पर खड़े होकर आइस-क्रीम जरूर खाएंगे ! बस इतनी सी बात हुई थी और तबसे मैं अफसर बिटीया हूँ , और अलोक दीवाने अफसर बाबू ,मेरे कारन !!
अलोक -सुनो आज पेपर जल्दी ख़त्म होगा तो २ बजे मूवी देखने चलोगी ? ना नहीं सुनेंगे देख लो फिर हम बहुत बिजी होने वाले , फिर ना ले जा पाएंगे !
नीलू - अच्छा बाबा ठीक है , कौन सी लगी है ?
अलोक- the dark knight rises ...
मूवी देखि और बाहर निकल कर आइस-क्रीम वाले के पास गए !
अलोक- काका दो आइस-क्रीम , मैडम के लिए बटरस्कॉच और मेरे लिए तो काका अपनी मटका कुल्फी !
नीलू- ओह नो ! चलो यहाँ से मेरे पड़ोस वाले श्याम अंकल ने देख लिया , हमे निकलना चाहिए 
अलोक-अरे हद बात करती हो.देख लिया तो कौन सा कोई गलत काम कर रहे आइस-क्रीम ही तो खा रहे ! इन् पड़ोसियों की भी , हमसे मिलवा देना कोई बात हो तो , और टेंशन मत लो इतना ,इनके लड़के को देखे थे , गांजा फूकते हुई अपने DC के आगे ! 
नीलू- प्लीज घर चलो , ना जाने क्या बोल दे वो घर पे 
घर आयी घबराई सी मैं , पापा ने बस इतना कहा आज से तुम्हारा कॉलेज जाना बंद , लड़का देख रहे तुम्हारी शादी करनी है , 
बस फिर क्या था ? मेरे सपने टूटने ही वाले थे , दीवाने बाबू और मेरी दोस्ती ,रिश्तेदारी में बदलने के ही नहीं बल्कि IAS बनकर पापा के सामने आने के भी सपने , कई सारे सपने 
३ साल बाद ,
हम दोनों आज फिर से साथ बैठे है एक साथ , आइस-क्रीम वाले भैया के पास , एक दूसरे के हाथो में हाथ लिए , बस एक ही फर्क है . आइस-क्रीम खाने को नहीं मिलेंगे , तुम कुछ कहते नहीं आजकल ,चुप ही रहते हो , खाते भी नहीं , किसी से बात नहीं करते बस यहाँ आकर घंटो बैठे रहते हो मेरी यादों में , उन्ही लम्हो में कैद होकर आखिरी लम्हा मेरे साथ बिताया हुआ , जिंदगी तुम्हारी डार्क neight सी हो गयी है !
मुझे मालूम था की फिर ये लम्हा नसीब ना होगा ! 
अंकल ने माँ को कहा था , आपकी बेटी बदचलन है पड़ोसी के साथ सिनेमा हॉल के बाहर रोमांस फरमा रही, मुझे बहुत अफ़सोस है भाईसाब, आपने कैसे संस्कार दिए , माँ -पापा के खून में उबाल था , मुझे सजा मिली उम्र कैद (शादी की) और मैंने सबसे दूर अपनी बेहतरी के लिए जाना समझा , बस ज़रा सा जहर था जिसने मुझे तुमसे दूर करके पास कर दिया , जानती हूँ तुम तब से खामोश हो दुनिया के लिए ,लेकिन मुझसे तो रोज़ बातें होती है तुम्हारी .... 
फिर मिलेंगे नयी दुनिया में , इंतज़ार करना ,' मोहब्बत कभी अधूरी नहीं होती' बस नज़र का फ़र्क है  
तुम्हारी दीवानी नीलू  

प्रज्ञा ठाकुर. #hindi #yqbaba #yqdada #yqdidi #tales #love #stories #writer

I do understand!!

I look at him in pain, And lightly smile again. He might think I jest, His sorrows, wounds, unrest. I've fought battles on my own, Survi...