तुझे ज़िंदा देखना था ! ©

वो इस बात पे हैरान है की मैं खुश क्यों  हूँ?
मैं तो खुश हूँ की उसे, हैरान देखना था
उसने जिस तरह से छोड़ा मुझे बीच राह में,
मुझे घर लौट कर, उसको परेशां देखना था
उसने मेरा दिल जलाया की उसे फर्क न पड़ा
मुझे ये आग बुझा कर, उसे हवा देखना था
मेरी ख़ुशी माना की रुख से विदा हो गयी लेकिन,
मुस्कुराने का हुनर बचा था उसे जो परेशां देखना था
क्या सोचता है मेरे यार जुलाहे की मैं मुर्दा हूँ?
सच कहूं तो हूँ क्यूंकि तुझे ज़िंदा देखना था

©प्रज्ञा ठाकुर

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