दो आत्माये मिलती है
एक दहकती आग सी
एक पानी सा
दोनों जलते बुझते से
कभी आग बुझती सी
कभी पानी जलता
जरा सी हवा आती दोनों के दरमियाँ
दोनों घुलते मिलते से,
अलग अलग से लेकिन
एक दूजे के प्रेम में,
बस इतनी सी कहानी
अधूरी सी हीं सही
कभी आग पानी मिले है भला ?
पर प्यार तो हुआ !
©प्रज्ञा ठाकुर
एक दहकती आग सी
एक पानी सा
दोनों जलते बुझते से
कभी आग बुझती सी
कभी पानी जलता
जरा सी हवा आती दोनों के दरमियाँ
दोनों घुलते मिलते से,
अलग अलग से लेकिन
एक दूजे के प्रेम में,
बस इतनी सी कहानी
अधूरी सी हीं सही
कभी आग पानी मिले है भला ?
पर प्यार तो हुआ !
©प्रज्ञा ठाकुर
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