मेरा स्वाभिमान अभी जिन्दा है !!!
मेरा स्वाभिमान अभी जिन्दा है
सुन कबसे बोल रहा हूँ , मुँह क्यों सुजा रखा है ,जवाब क्यों नहीं दे रही ? नहीं बात करनी बोल दे . ठीक है मैं जा रहा हूँ भाड़ में जा तू मत सुन मुझे क्या ?
अच्छा चल बता अब हुआ क्या ? कुछ तो बता , मैंने कुछ गलत कह दिया ? कोई मेरी बात बुरी लगी तुझे ?
नहीं कुछ नहीं तुम जाओ .
बस इतना ही बोल पायी मैं, कहने को तो शब्दों और शिकायतों का भंडार था , पर फायदा नहीं दिखा कुछ भी कहने सुनने का , तुम्हे समझ आती तो तुम ऐसा करते ही क्यों , फालतू में बहस बढ़ेगी तर्क वितर्क होगा न तुम मानोगे अपनी गलती और ना मैं खुद को सुकून दिला पाऊँगी , जाने दो पर ऐसा कब तक चलेगा ?
रोज़ाना की तरह ही लोकल में जा रहे थे और मैं हस रही थी मैंने तुमसे एकदम खुश हो के पूछा था अरे कल संडे है कही चलते है सबलोग , और तुमने मेरी बात को अनसुना करके मुझे बोला धीरे बोल धीरे सब सुन रहे ,कितना तेज़ बोलती है . बस एक गहरा सन्नाटा मेरे भीतर तक रक्त चाप की तरह बह गया ,खामोश तो ऐसे हुई की अब अगला शब्द ही न निकले जुबान से , और तभी मेरे गालों पे जो ख़ुशी की लालिमा थी क्रोध के लाल बादल में बादल गए.
अब कही जाना तो दूर तुझसे एक शब्द बोलने का जी नहीं चाहता , खुद को समझते क्या हो तुम लोग ?क्या मैंने कोई गाली दी ? कोई ऐसी अश्लील बात कह दी जो पब्लिक प्लेस पे नहीं कहते ? क्या मैंने इतना तेज़ बोल दिया की सैंकड़ो लोग मुड़ कर देखने लग गए ? अगर लोग देखेंगे सुनेंगे भी तो क्या हो गया उनकी प्रॉब्लम है मेरी नहीं ,और कान में धीरे बोलूंगी तो उन्हें डाउट नहीं होगा की पता नहीं ये लोग क्या बाते कर रहे ?तब लोग क्या सोचेंगे ?खुद तो कितनी तेज़ बाते करता है ph पर ,मैंने कभी कुछ कहा ? बस मैं लड़की हूँ तो जनम से ही मुझे धीरे बोलने की सलाह मिल रही ,यही सब मन में आया ,घोर निराशा ,उदासी ,सवाल ,गुस्सा , बहुत फ़्रस्ट्रेटेड थी मैं !
अरे चुप क्यों हो गयी आगे तो बोल , तुमने कहा !
नहीं , अभी कुछ नहीं तुम बोलो ,मैंने कहा
जानती थी मैं तुझसे नाराजगी दिखा कर कुछ उखाड़ नहीं सकती , तू किसी राजनेता की तरह लॉजिक देगा , और हो सकता है और भी ऐसी बात कह दे जो मुझे और गुस्सा दिलाये हर्ट करे ,तुम लड़को को समझ ही नहीं आती किस बात से हमारे स्वाभिमान को चोट लग सकता है !
लेकिन मन ही मन तेरे शब्द कान को याद दिला रहे थे ,ishhhhh धीरे बोल , क्यों मेरी आवाज़ क्यों दबा रहे ? पर आदत तो मुझे भी है खामोश रहने की सो आज भी चुप हो गयी मैं हर बार की तरह .ह्यूमेन ही तो सह -सह कर अपनी हदें तये कर ली , की तुमलोग अब रोज़ नए फतवे बनाते हो ,मेरी उम्र का ही तो है तू और खुद कुछ नहीं सीखना पर मुझे सारा ज्ञान बाँट देता है जो भी तेरे दिमाग में है .
तुमने फिर अपनी बाते कहनी शुरू कर दी , और तुम्हे कुछ फर्क नहीं पड़ा की मैं चुप क्यों हो गयी .
घर पहुंच कर फिर मैंने तुम्हारे साथ न जाने तक का भी बड़ा फैसला लिया ,कई दिनों तक हमारी बात नहीं हुई ! मुझे अभी भी उम्मीद थी तुम समझ जाओगे और काश दोबारा ऐसा ना करो ,पर तुम्हे कैसे समझाऊ ? अच्छा ही है तुम जैसे लोग जो मेरी आज़ादी दबाते है उनसे मुझे कोई बात नहीं करनी , पर तुम्हे ये बात समझ क्यों नहीं आयी.
फाइनली तुमने कॉल किया ? चल रही संडे क्या प्लान है ? मैंने कहा नहीं मुझे काम है , नहीं आ सकती ,तुमने ओके कह कर ph रख दिया और ,मैंने सोचा ये हमारी आखिरी बात है , घटिया इंसान खुद भी उसी जुबान से चिल्लाता है और मुझे कैसे बोला चुप हो जाओ , अब जो गुस्सा और विचार था मन में मेरे, वो बस उस बात का नहीं रह गया अब तो तुम्हारे लापरवाह रवैय्ये पर भी था की तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं बात करू या नहीं , ओह तुम यही तो चाहते थे .
बस दोबारा कॉल आया ''सुन तू नाराज़ है क्या ? कोई बात ? तुम्हारे इतना कहते ही ,मुझे एहसास हुआ , मैं भगवान की बनायीं सबसे खूबसूरत रचना हूँ , जलती -धधकती बाती से मोम हो गयी ,
अरे उस दिन मैंने कुछ बुरा कह दिया तो I am sorry , शायद मैंने ज्यादा रियेक्ट किया , तेरी बातो पे ध्यान नहीं दिया , तेरी आवाज़ ...,तुम कह ही रहे थे की , मैंने बोला कोई बात नहीं , मुझे बुरा नहीं लगा
एक हफ्ते का गुस्सा तो एक सॉरी ने शांत कर दिया , लेकिन मन डर गया की तू इसके आगे जो भी बोलेगा वो फिर मुझे हर्ट न कर दे , इतना अच्छा तू नहीं की आगे नहीं टोकेगा पर ये और बोल सकता है की आगे तू भी धीरे बोलना पब्लिक प्लेस पर ,और मेरे खून में फिर उबाल आ जायेगा , जानती जो हूँ तुम लोगो को ,जिसकी सोच बदलना और अपनी बात समझाना मेरे बस में नहीं , इस जनम इस देश में तो नहीं .
तभी तूने कहा सुन बता अब चलेगी ?
मैंने भी कह दिया हाँ लेकिन वहाँ तो मैं गाउंगी, चिल्लाऊंगी , नहीं तो चुप चाप बैठने नहीं जाउंगी ...
ठीक है मेरी माँ चल तो सही ...मैंने भी धीरे बोला इस बार और तुम्हे दोबारा हर्ट करने का मौका ही नहीं दिया ..........
पर क्या ठीक किया था मैंने ?
सुन कबसे बोल रहा हूँ , मुँह क्यों सुजा रखा है ,जवाब क्यों नहीं दे रही ? नहीं बात करनी बोल दे . ठीक है मैं जा रहा हूँ भाड़ में जा तू मत सुन मुझे क्या ?
अच्छा चल बता अब हुआ क्या ? कुछ तो बता , मैंने कुछ गलत कह दिया ? कोई मेरी बात बुरी लगी तुझे ?
नहीं कुछ नहीं तुम जाओ .
बस इतना ही बोल पायी मैं, कहने को तो शब्दों और शिकायतों का भंडार था , पर फायदा नहीं दिखा कुछ भी कहने सुनने का , तुम्हे समझ आती तो तुम ऐसा करते ही क्यों , फालतू में बहस बढ़ेगी तर्क वितर्क होगा न तुम मानोगे अपनी गलती और ना मैं खुद को सुकून दिला पाऊँगी , जाने दो पर ऐसा कब तक चलेगा ?
रोज़ाना की तरह ही लोकल में जा रहे थे और मैं हस रही थी मैंने तुमसे एकदम खुश हो के पूछा था अरे कल संडे है कही चलते है सबलोग , और तुमने मेरी बात को अनसुना करके मुझे बोला धीरे बोल धीरे सब सुन रहे ,कितना तेज़ बोलती है . बस एक गहरा सन्नाटा मेरे भीतर तक रक्त चाप की तरह बह गया ,खामोश तो ऐसे हुई की अब अगला शब्द ही न निकले जुबान से , और तभी मेरे गालों पे जो ख़ुशी की लालिमा थी क्रोध के लाल बादल में बादल गए.
अब कही जाना तो दूर तुझसे एक शब्द बोलने का जी नहीं चाहता , खुद को समझते क्या हो तुम लोग ?क्या मैंने कोई गाली दी ? कोई ऐसी अश्लील बात कह दी जो पब्लिक प्लेस पे नहीं कहते ? क्या मैंने इतना तेज़ बोल दिया की सैंकड़ो लोग मुड़ कर देखने लग गए ? अगर लोग देखेंगे सुनेंगे भी तो क्या हो गया उनकी प्रॉब्लम है मेरी नहीं ,और कान में धीरे बोलूंगी तो उन्हें डाउट नहीं होगा की पता नहीं ये लोग क्या बाते कर रहे ?तब लोग क्या सोचेंगे ?खुद तो कितनी तेज़ बाते करता है ph पर ,मैंने कभी कुछ कहा ? बस मैं लड़की हूँ तो जनम से ही मुझे धीरे बोलने की सलाह मिल रही ,यही सब मन में आया ,घोर निराशा ,उदासी ,सवाल ,गुस्सा , बहुत फ़्रस्ट्रेटेड थी मैं !
अरे चुप क्यों हो गयी आगे तो बोल , तुमने कहा !
नहीं , अभी कुछ नहीं तुम बोलो ,मैंने कहा
जानती थी मैं तुझसे नाराजगी दिखा कर कुछ उखाड़ नहीं सकती , तू किसी राजनेता की तरह लॉजिक देगा , और हो सकता है और भी ऐसी बात कह दे जो मुझे और गुस्सा दिलाये हर्ट करे ,तुम लड़को को समझ ही नहीं आती किस बात से हमारे स्वाभिमान को चोट लग सकता है !
लेकिन मन ही मन तेरे शब्द कान को याद दिला रहे थे ,ishhhhh धीरे बोल , क्यों मेरी आवाज़ क्यों दबा रहे ? पर आदत तो मुझे भी है खामोश रहने की सो आज भी चुप हो गयी मैं हर बार की तरह .ह्यूमेन ही तो सह -सह कर अपनी हदें तये कर ली , की तुमलोग अब रोज़ नए फतवे बनाते हो ,मेरी उम्र का ही तो है तू और खुद कुछ नहीं सीखना पर मुझे सारा ज्ञान बाँट देता है जो भी तेरे दिमाग में है .
तुमने फिर अपनी बाते कहनी शुरू कर दी , और तुम्हे कुछ फर्क नहीं पड़ा की मैं चुप क्यों हो गयी .
घर पहुंच कर फिर मैंने तुम्हारे साथ न जाने तक का भी बड़ा फैसला लिया ,कई दिनों तक हमारी बात नहीं हुई ! मुझे अभी भी उम्मीद थी तुम समझ जाओगे और काश दोबारा ऐसा ना करो ,पर तुम्हे कैसे समझाऊ ? अच्छा ही है तुम जैसे लोग जो मेरी आज़ादी दबाते है उनसे मुझे कोई बात नहीं करनी , पर तुम्हे ये बात समझ क्यों नहीं आयी.
फाइनली तुमने कॉल किया ? चल रही संडे क्या प्लान है ? मैंने कहा नहीं मुझे काम है , नहीं आ सकती ,तुमने ओके कह कर ph रख दिया और ,मैंने सोचा ये हमारी आखिरी बात है , घटिया इंसान खुद भी उसी जुबान से चिल्लाता है और मुझे कैसे बोला चुप हो जाओ , अब जो गुस्सा और विचार था मन में मेरे, वो बस उस बात का नहीं रह गया अब तो तुम्हारे लापरवाह रवैय्ये पर भी था की तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं बात करू या नहीं , ओह तुम यही तो चाहते थे .
बस दोबारा कॉल आया ''सुन तू नाराज़ है क्या ? कोई बात ? तुम्हारे इतना कहते ही ,मुझे एहसास हुआ , मैं भगवान की बनायीं सबसे खूबसूरत रचना हूँ , जलती -धधकती बाती से मोम हो गयी ,
अरे उस दिन मैंने कुछ बुरा कह दिया तो I am sorry , शायद मैंने ज्यादा रियेक्ट किया , तेरी बातो पे ध्यान नहीं दिया , तेरी आवाज़ ...,तुम कह ही रहे थे की , मैंने बोला कोई बात नहीं , मुझे बुरा नहीं लगा
एक हफ्ते का गुस्सा तो एक सॉरी ने शांत कर दिया , लेकिन मन डर गया की तू इसके आगे जो भी बोलेगा वो फिर मुझे हर्ट न कर दे , इतना अच्छा तू नहीं की आगे नहीं टोकेगा पर ये और बोल सकता है की आगे तू भी धीरे बोलना पब्लिक प्लेस पर ,और मेरे खून में फिर उबाल आ जायेगा , जानती जो हूँ तुम लोगो को ,जिसकी सोच बदलना और अपनी बात समझाना मेरे बस में नहीं , इस जनम इस देश में तो नहीं .
तभी तूने कहा सुन बता अब चलेगी ?
मैंने भी कह दिया हाँ लेकिन वहाँ तो मैं गाउंगी, चिल्लाऊंगी , नहीं तो चुप चाप बैठने नहीं जाउंगी ...
ठीक है मेरी माँ चल तो सही ...मैंने भी धीरे बोला इस बार और तुम्हे दोबारा हर्ट करने का मौका ही नहीं दिया ..........
पर क्या ठीक किया था मैंने ?
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