बनारसी पान की मिठास सी ©

तु और मैं दोनों बनारस के होते
गंगा घाट पर सुबह ५ बजे मिलते
मैं किसी पुजारी की बेटी होती
तु किसी पान के दुकान का
रेगुलर ग्राहक !
बनारसी पान की मिठास सी
हम दोनो के जज़्बात होते
हाँ तेरी आवारा आदते मुझे सुहाती नहीं
पर तु होता नहीं वैसा जैसा दिखता
कहते है इश्क का अंदाज हीं
जुदा होता है अक्सर !
बस गंगा की अनंत, अविरल सी धारा में,
बहती हमारी गाथा !! 


©प्रज्ञा ठाकुर

Comments

  1. 👏👏👏👏 acha likh leti ho
    very well and if you fully interested in this then contact with kavi or any others to improve yourself
    that's all

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