दर्द क्या है ?©

किसी  ने यूँ हीं अचानक एक सवाल पूछ लिया और तबसे खुद को जवाब दिए जा रही - वो सवाल कुछ यूँ था की तुम्हें देख कर लगता है तुमने अभी दुनिया नहीं देखि और दर्द से दूर-दूर तक तुम्हारा कोई ताल्लुक नहीं, महलों की रानी सी नाजुक कोमल हाथ तुम्हारे कभी कोई काम नहीं किये होंगे और कोई भी सख्श कभी तुम्हारा दिल नहीं दुखाता होगा!

उनके ये शब्द सराहनीये थे किसी फेरी टेल जैसी फीलिंग आयी पर मैंने भी पूछ लिया ? और आप तो दर्द के साथ ही साँस लेते है तो जरा हमे भी बताईये कितना दर्द है? कैसा होता है दर्द ? 
२-३ प्रेमिकाओं का साथ छूट जाना , माँ का बीमार होना , घर की जिम्मेदारी , किसी से एकतरफा प्यार की मार फिर से झेलना, हाँ उसको रात-दिन निहारना सोशल साइट्स पे जा के और शराब, सुट्टे में डूबे रहना खुद की ज़िंदगी को अधूरा महसूस करते हुए ! किसी पुरानी प्रेमिका के लिए गाली तो किसी के लिए शायरी और दर्द की इतनी इम्तिहान. उफ़ इस शहर में ऐसे दर्द से हर दूसरा सख्श गुजर रहा, लेकिन उस दर्द से निकलना नहीं है किसी को हाँ एक और नयी प्रेमिका की एंट्री की तलाश है , सुट्टा और दारू छोड़ नहीं सकते आदतों में सुमार है और अब इस चक्कर में आने वाली प्रेमिका भी छोड़ी जाएगी और फाइनल  वाली तो मम्मी ही लाएगी !
वाकई इस दर्द से घृणा सी हो गयी है . ये सब कायर है मेरी नज़रों में इन् जैसे लोगों ने अपनी नहीं ना जाने कितनों की ज़िंदगी ख़राब की है बस अपने दर्द को न्याय दिलाने की कोशिश में .

हाँ मैं मुस्कुराती सी, कोमल सी लड़की हूँ जिसे तुम जैसे किसी दर्द झेलते इंसान का शिकार होना नहीं पसंद , जो अकेला हो, जिसे बारम्बार प्यार हो जाता हो पर साथ निभाने में बुजदिली हो, जो कमजोर खोखला हो लेकिन उन्हें किसी मिस परफेक्ट की तलाश होती है. और सुनो तुम्हें ये दर्द मुबारक हो तुम इसी दर्द के लायक हो! सच कहें तुम्हारें मनोदशा से हमें इससे भी खतरनाक जजमेंट की उम्मीद थी तुमने बचा लिया. दर्द जो बता सको, जो दिखा सको वो अगर दर्द होता तो क्या बात थी. दर्द की तो जब अभिव्यक्ति होती है तो इंसान का शरीर सुन्न पड़ जाता है. आत्मा नीरस लगती है, किसी शराब से जाती नहीं और उसे नींद कभी आती नहीं. दर्द में लफ्ज़ निकलते हीं कहाँ है ? आंखे पथराई सी होती है .
दर्द बहुत मुश्किल है बता पाना! दर्द में गुस्सा तो होते है पर किससे और क्यों मालूम नहीं , खुदा के पास से गुजर जाना उसे नजरअंदाज करते और फिर सिद्दत से पूजना, दर्द तोड़ता है, तुम्हारे स्वाभिमान के टुकड़े-टुकड़े करता है दर्द, दर्द अय्यियाश नहीं है, दर्द बार-बार मौका नहीं देता, दर्द शांत और वीरान है, दर्द कुछ पल के लिए आस्थगित नहीं होता, वो बेचैनी बन के आँखों में नाचता है, दर्द पागल है कब, कैसे, कहाँ दिख जाये समझ नहीं आता. दर्द को दलाली नहीं आती .
दर्द बदलता नहीं. दर्द सुधरता नहीं. दर्द जिद्दी और ढीठ नहीं है, बहुत सरल है, दुनियादारी के बहाओ में बस मुड़ता और टूटता जाता है , पानी की तरह घुलता-मिलता और बस शांत बहता जाता है. दर्द ईमानदार है ,गंभीर है, दर्द तो आलोचना नहीं करता. उसे सब स्वीकार है. दर्द ज्ञान है-जो किसी किताब में नहीं मिलती और दर्द ऐसे संतोष है जो मिल जाये तो इंसान सत्य हो जाये और अमर हो जाये .
''जिन जिन पावा मैं लगी ,करया ना कोई भेद
पायदान थी वाही रही , साधु लगया या चोर '


©प्रज्ञा ठाकुर

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