कागज की पहली नाओ बनाना मुझको
मेरी नानी ने सिखलाया!
अपने नाम का मतलब मुझको ,
नानू ने बतलाया!
कहती है माँ मेरे जिद्दी होने की,
वजह है उन दोनों का मेरी, जिद्द पूरी करना!
नानू के प्यार दुलार ने मुझको,
उड़ना आज़ाद सिखाया .
नानी के संस्कार ने मुझको
ईश्वर का अर्थ बताया .
गणित के पहले प्रश्न हल करना
नानू ने था सिखाया .
तो बाल बनाना ,चोटी करना
नानी ने सिखलाया!
मेरी हर ख्वाहिश का ख्याल
उन दोनों को था रहता .
भूल गयी मैं , अपनी ही बातें
मगर उन्हें याद सब रहता
जाने कितने साल पहले मैंने ,
नानी से मांगी थी इक पाजेब
अब पाजेब का सौख नहीं
कह कर ,मैं भी थी भूल गयी ...
लेकिन नानी को याद रहा
लाकर दी थी कुछ साल पहले
कर दिया मुझे हैरान ... :-)
नानू कहते है जब नेह मिलती है
ऐसा लगता है चिड़िया बैठी
शाख़ पर आ,
बैठ पास मेरे तबतक ,
बातें करती है
मैं खुद ना कह दूँ ,
खुद से - बेटा अब सो जा!
नानी की तो इतनी सारी यादें है.
नम हो जाती आंखे अक्सर सोच उन्हें ,
छोटी मासी और मेरे बीच उन्हें अधिक कौन प्रिये ?
इस सवाल का जवाब आज भी मेरे हिस्से
दादी से नहीं कहानी मैंने ,
नानी से सुने है .
मेरे पहले शिक्षक ,
मेरे नानू ही बने थे!
पेड़े,लडडू ,गुलाबजामुन ,
घर के पसंद है .
क्यूंकि अक्सर नानी के हीं,
हाथो के बने मिले है!
चंदा मामा की लोड़ी
नानी से सुनी थी .
क्या कहूँ ? की, सारा बचपन उन्हीं के साथ था बीता!
इतने करीब से क्या किसी ने कोई प्यार है देखा?
इतने किस्सों का सच्चा कोई संसार है देखा!©
LOVING MEMORY OF THEM..
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